'एलियन टॉर्ट क्लेम्स एक्ट' का दुरूपयोग Exclusive, 1st by YDMS
misuse of 'Alien tort Claims Act'
युग दर्पण द्वारा त्वरित विश्लेषण/निष्कर्ष
अमेरिका में भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए पहचाने जाने वाले समूहों ने प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध न्यू यॉर्क और वाशिंगटन दोनों स्थानों पर विरोध प्रदर्शनों की योजना बनाई है। अमेरिका की एक संघीय अदालत ने वर्ष 2002 में गुजरात में हुई हिंसा में उनकी कथित भूमिका के संबंध में उनके विरुद्ध समन जारी किए हैं। क्षतिपूर्ति और दंडात्मक कार्रवाई की मांग करने वाली 28 पृष्ठों की शिकायत में मोदी पर मानवता के विरुद्ध अपराध करने, न्यायेतर हत्याएं करने, पीड़ितों (अधिकतर मुस्लिम) को प्रताड़ित करने और उन्हें मानसिक एवं शारीरिक आघात पहुंचाने के आरोप हैं। ’वर्ष 1789 में अपनाया गया 'एलियन टॉर्ट क्लेम्स एक्ट' का दुरूपयोग misuse of 'Alien tort Claims Act' अमेरिका का ऐसा संघीय कानून है, जो संघीय अदालतों को अमेरिका के बाहर अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में किए कायो’ के विरुद्ध, अमेरिकी नागरिकों द्वारा दायर मामलों की सुनवाई का अधिकार देता है। देखें -
"US Supreme Court Greatly Restricts Scope of Alien Tort Claims; Holds Statute Does Not Apply Extraterritorially"
April 23, 2013 | Skadden, Arps, Slate, Meagher & Flom LLP |
Susan L. Saltzstein, Jennifer L. Spaziano
Last week, the U.S. Supreme Court issued its long-awaited opinion in Kiobel v. Royal Dutch Petroleum, No. 10–1491 (U.S. Apr. 17, 2013), a significant decision holding that the so-called “Alien Tort Claims Act” or “Alien Tort Statute” (ATS) is subject to the “presumption against extraterritoriality” and thus usually will not apply to claims involving alleged human rights abuses or other violations of international law alleged to have occurred in foreign countries. Besides marking the termination of claims in this particular case — involving Royal Dutch/Shell’s alleged activities in Nigeria — the case will have an immediate and likely preclusive effect on numerous other claims pending in the U.S. courts involving corporate liability for alleged overseas international law violations. Hence this Act is not applicable, and outside the jurisdiction of and not acceptable by this court. इसे देख कर स्पष्ट है कि यह मामला अमरीकी संघीय अदालत की सीमा से बाहर का तथा प्रथम दृष्टया अस्वीकार किये जाने योग्य है।
अन्यत्र, हिन्दू समाज व हिदुत्व और भारत,
को प्रभावित करने वाली
जानकारी का दर्पण है:
विश्वदर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; -तिलक
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