पश्चिमके कदम सदा लूट केलिए उठे,हमारे पग सदा विश्वकल्याण हेतु आगे बड़े.जिस देश में गए,शोषण नहीं किया अर्थ व्यवस्था को उठाया.ऐसे समाज के प्रति मिडिया दुष्प्रचारसे ऑस्ट्रेलिया जैसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति,अन्यत्र हिन्दू समाज व हिदुत्व और भारत को प्रभावित करने वाली जानकारी का दर्पण है विश्वदर्पण. तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358.

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Monday, December 2, 2019

  'अंतर्राष्ट्रीय गीता प्रेरणा महोत्सव,2019' के संदर्भ में लाल किला मैदान नई दिल्ली से 

प्रस्तुति मुसं युगदर्पण /युदस न दि, दिसं: 01, 2019 हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि देश से बाहर इस बार 'अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव' का आयोजन 20 मार्च से 22 मार्च तक आस्ट्रेलिया में किया जाएगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि  'कुरुक्षेत्र' को 'दिव्य व भव्य कुरुक्षेत्र' के रूप में अंतराष्ट्रीय स्तर पर विकसित किए जाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। धर्मक्षेत्र 'कुरुक्षेत्र' के 48 कोस के प्राचीन क्षेत्र में स्थित महाभारत कालीन तीर्थ स्थलों को क्रमबद्ध रूप से विकसित किया जा रहा है। प्राचीन सरस्वती नदी के उद्गम स्थल व प्रवाह मार्ग पर स्थित प्राचीन धार्मिक स्थलों का भी जीर्णोद्धार करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम के सहयोग से प्राचीन सरस्वती नदी के भूमिगत जल स्त्रोत से जल निकाल कर भूतल पर सरस्वती नदी के प्रवाह मार्ग में पुन जल प्रवाह किए जाने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है।
   हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि कुरुक्षेत्र में जीओ गीता द्वारा एक अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया जा रहा है। कुरुक्षेत्र में अनेक धार्मिक स्थल व धार्मिक केंद्र स्थापित हैं। विभिन्न धार्मिक संस्थाओं द्वारा कुरुक्षेत्र में धार्मिक केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि कुरुक्षेत्र में पांच एकड क्षेत्र में एक 'भारत माता मंदिर' बनाए भी बनाया जाएगा। कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के अवसर पर  व अन्य धार्मिक अवसरों श्रृद्धालुओं को बढती जा रही संख्या के दृष्टिगत वहां सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है।
   हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि गत अगस्त,2018 में मारिशस में, फरवरी,2019 में इंगलैंड में 'अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव' आयोजित किए गए। इसी क्रम में इस 20 मार्च से 22 मार्च  तक आस्ट्रेलिया में' अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव' आयोजित किया जाएगा।
   लाल किला मैदान में आयोजित 'गीता प्रेरणा महोत्सव,2019' का शुभारंभ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल  व गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला व श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने गीता जी का विमोचन किया।
   लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला ने अपने संबोधन में गीता के प्रसार की दिशा में स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि गीता विश्व धरोहर है और गीता दर्शन सदैव प्रासंगिक है। गीता  ज्ञान सामान्य मानव जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। हमें अपने जीवन में गीता को अपनाना चाहिए।
    केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री स्मृति जुबिन इरानी ने अपने संबोधन में कहा कि साधु-संतों व विद्वानों के संबोधन से सदैव श्रेष्ठ प्रेरणा मिलती है। केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में गर्भवती माताओं व बच्चों में कुपोषण की समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में सेवा-सहयोग किए जाने का आह्वान किया। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि पवित्र 'गीता' का दर्शन संपूर्ण मानव जाति के कल्याण का स्त्रोत है।
   हरियाणा के राज्यपाल श्री सत्यदेव नारायण आर्य, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,योगगुरु बाबा रामदेव व मोरारी बापू ने  'गीता प्रेरणा महोत्सव, 2019' में अपने संदेश प्रषित किए।
   लाल किला मैदान में आयोजित 'गीता प्रेरणा महोत्सव,2019' के मुख्यातिथि व राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि पवित्र 'गीता' हमारी विरासत है और विश्व में प्रसारित किए जाने की दिशा में प्रारंभ किए गए इस उपक्रम को विस्तारित करना है।
    गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि पवित्र 'गीता' को 'मानवता के लिए दिव्य प्रेरणा' व 'प्रत्येक क्षेत्र की व्यवहारिक पहचान' बताते हुए कहा कि गीता शिक्षा शास्त्र है, न्याय शास्त्र है, चिकित्सा शास्त्र है, मनोबल बढाने की प्रेरणा विशेषकर युवाओं के लिए तो संजीवनी है।
    ज्ञानानंद जी महाराज ने पवित्र 'गीता' को 'संस्कृति का आभूषण' की संज्ञा देते हुए विप्रजनों से अपने क्षेत्रों में पवित्र 'गीता' को  व्यावहारिक प्रेरणा बनाने का आह्वान किया।  उन्होंने पवित्र 'गीता' को राजनीति क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बताया। 
  साध्वी ॠतंभरा जी ने अपने संबोधन में पवित्र 'गीता' के ज्ञान के प्रसार की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर किए जा रहे कार्यो के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व गीता मनीषी ज्ञानानंद जी महाराज की प्रशंसा की।
  स्वामि परमात्मानंद जी महाराज ने पवित्र 'गीता' को भारत का ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व का ग्रंथ बताते हुए कहा कि विश्व में हमारे धर्म को आस्था व श्रद्धा के रूप में देखा जाता है, परंतु हमारा आधार ज्ञान है। हम विज्ञान से नहीं, केवल ज्ञान से ही विश्व गुरू बन सकते हैं।
  स्वामि रामेश्वरानंद जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि पवित्र गीता का चिंतन हमारी संस्कृति है और सभी तक  पवित्र 'गीता' का प्रकाश पहुंचाना ही हमारा उद्देश्य है।
   प्रमुख ईमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा कि 'गीता' हमारा भारत है, धर्म है, हमारी मर्यादा है। दूसरों को अवसर देना हमारे धर्म है। हम भारतीय हैं और हमारा पैगाम है,"धर्म जोडता है, धर्म तोडता नहीं"। हमें भारत को मजबूत करना है। पटियाला(पंजाब) के बाबा भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हमने गीता को जीवन में ग्रहण करते हुए उसे जीना है। हमारी प्राथमिकता अध्यातम होनी चाहिए।
   स्वामि राधवानंद नंद जी ने पवित्र 'गीता' को वास्तविक जीवन का मार्ग बताया। जैन मुनि आचार्य लोकेश ने कहा गीता पूरे विश्व की धरोहर है। जैन मुनि आचार्य विवेक ने कहा कि गीता हमें सभी कार्यों को योग के रूप में करने का मार्ग दिखलाती है।
    राज्यसभा सांसद जनार्दन द्विवेदी, भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन व भाजपा के दिल्ली के प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी अपना संबोधन किया।
   'गीता प्रेरणा महोत्सव,2019' में नेत्रहीन छात्राओं ने गीता के 18 अध्यायों से संकलित 18 श्लोकों का उच्चारण किया। मुस्लिम छात्रों ने गीता के 18 अध्यायों से संकलित 18 श्लोकों का उर्दू अनुवाद प्रस्तुत किया। 'गीता प्रेरणा महोत्सव,2019' में विभिन्न देशों से भारी संख्या में आए भारतीयों ने भी भाग लिया।
   'गीता प्रेरणा महोत्सव,2019' मे केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री रत्नलाल कटारिया, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानानंद गुप्ता, सांसद अरविंद शर्मा, सांसद संजय भाटिया, सांसद सुनीता दुग्गल, हरियाणा के खेल एवं युवा मामले राज्य मंत्री संदीप सिंह ,विधायक सुभाष सुधा व विधायक नरेन्द्र गुप्ता भी शोभायमान रहे। 'गीता प्रेरणा महोत्सव,2019' में जीओ गीता के विभिन्न पदाधिकारी भी उपसथित रहे।

          
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Monday, December 5, 2016

मोदी ने ओबामा-ट्रंप को पछाड़ा, बने ''वर्ष के सर्वाधिक लोकप्रिय'': टाइम

मोदी ने ओबामा-ट्रंप को पछाड़ा, बने ''वर्ष के सर्वाधिक लोकप्रिय'': टाइम 
मोदी बने ‘टाइम पर्सन ऑफ दी ईयर’, ओबामा-ट्रंप को पछाड़ातिलक नदि। न्यूयॉर्क से प्राप्त समाचारों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘टाइम पर्सन ऑफ दी ईयर, 2016’ के लिए ''ऑनलाइन रीडर्स'' सर्वेक्षण जीत लिया है। इसमें उन्होंने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को पीछे छोड़ दिया। सर्वेक्षण रविवार रात पूरा हुआ और 18 % मतों के साथ मोदी इसमें विजेता के रूप में उभरे। मोदी को मिले मत उनके निकटस्थ प्रतिद्वंद्वी ओबामा, ट्रंप और विकीलीक्स के संस्थापक जुलियन असांजे को मिले सात % मतों से उल्लेखनीय रूप से अधिक हैं। 
टाइम के अनुसार मोदी इस वर्ष के प्रख्यातजनों जैसे फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (दो %) और अमेरिकी राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन (चार %) से कहीं आगे रहे। वर्ष के प्रभावशाली के नाम पर अंतिम निर्णय टाइम के संपादक इस सप्ताह के अंत तक लेंगे जबकि सर्वे के परिणाम यह बताते हैं कि विश्व इन व्यक्तियों को किस प्रकार देखता है। ऑनलाइन सर्वे के अनुसार मोदी वर्ष 2016 के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में उभर कर आए हैं। टाइम ने कहा कि पाठक सर्वे एक महत्वपूर्ण झरोखा है जो बताता है कि वर्ष 2016 में छाए रहने वाले व्यक्ति उनके अनुसार कौन हैं। मोदी ने यह सर्वे दूसरी बार जीता है। इससे पूर्व वर्ष 2014 में उन्हें पचास लाख मतों में से 16 % से अधिक मत प्राप्त हुए थे। 
लगातार चौथे वर्ष वह ‘पर्सन ऑफ दी ईयर’ की दौड़ में शामिल हुए हैं। यह सम्मान हर वर्ष उस व्यक्ति को दिया जाता है जिसने ‘‘अच्छी या बुरे कारण से वर्ष भर हमारे विश्व को प्रभावित किया और समाचारों में छाया रहा।’’ गत वर्ष यह सम्मान जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल को मिला था। टाइम ने सेप्टेंबर प्यू पोल के सन्दर्भ से कहा कि इन महीनों में मोदी को पसंद करने वाले भारतीयों की उच्च दर देखने को मिली है। 
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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Wednesday, November 9, 2016

अजहर मुद्दे में विलम्ब: भारत ने सुरक्षा परिषद की आलोचना की

अजहर मुद्दे में विलम्ब: भारत ने सुरक्षा परिषद की आलोचना की 
अजहर मुद्दे पर देरीः भारत ने सुरक्षा परिषद की आलोचना कीतिलक नदि। भारत ने अपने ही हाथों आतंकवादी संगठन घोषित किए गए समूहों के नेताओं को प्रतिबंधित करने में महीनों लगाने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तीखी आलोचना की है। उसकी यह आपत्ति पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया पर प्रतिबंध लगाने के भारत के प्रयास को ‘तकनीकी आधार पर’ खटाई में डालने पर था। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने सोमवार को यह कहते हुए आतंकवादी संगठनों के नेताओं पर प्रतिबंध लगाने में विफलता पर परिषद को लताड़ते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद अपने ही ‘‘समय के जाल और राजनीति’’ में फंस गई है। 
अकबरूद्दीन ने सुरक्षा परिषद के समतामूलक प्रतिनिधित्व और सदस्यता में वृद्धि पर आयोजित एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जहां हर दिन इस या उस क्षेत्र में आतंकवादी हमारी सामूहिक अंतरात्मा आहत करते हैं, सुरक्षा परिषद ने इस पर विचार करने में नौ माह लगाए कि क्या अपने ही हाथों आतंकवादी इकाई घोषित किए गए संगठनों के नेताओं पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं।’’ 
इससे पूर्व, इसी वर्ष चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अजहर को आतंकवादी ठहराने के भारत के पग पर ‘‘तकनीकी स्थगन’’ लगा दिया था। तकनीकी स्थगन की छह माह की सीमा सितंबर में समाप्त हो गई थी और चीन ने तीन माह का एक दूसरा स्थगन चाहा था। भारतीय राजनयिक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर कछुए की चाल से चलने वाली ‘‘चर्चा के अंतहीन क्रम’’ पर खेद जताया और कहा कि वर्तमान वैश्विक स्थिति के प्रति ‘‘असहयोगी’’ विश्व निकाय में तुरंत सुधार के लिए ‘‘गतिरोध भंग करने का यह समय है।’’ 
अकबरूद्दीन ने रेखांकित किया कि इस वर्ष मानवीय स्थितियों, आतंकवादी संकटों और शांतिरक्षण की समस्याओं के प्रति पग उठाने में अक्षमता प्रमुख मामलों में प्रगति करने में विश्व समुदाय की न्यूनता के मूल्य का भाग है जिसे चुकाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘सीरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रमुख मुद्दों और दक्षिण सूडान जैसे शांतिरक्षण संकट जैसी अन्य स्थितियों से निबटने में हमने खंडित कार्रवाई देखी जिन्हें सहमति के महीनों बाद भी लागू नहीं किया गया।’’ भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘‘कहा जा सकता है कि समय और राजनीति के अपने ही जाल में उलझी सुरक्षा परिषद तदर्थवाद और राजनीतिक पंगुता के आधार पर जैसे तैसे काम कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार पर चर्चाओं के अंतहीन क्रम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय अचंभित है क्योंकि इसके महत्व और तात्कालिकता के बाद भी सुरक्षा परिषद के प्रमुख सुधार में विलम्ब की जा रही है। अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘सत्तर वर्ष पूर्व निर्धारित की गई इसकी सदस्यता, विशेष कर स्थाई श्रेणी में प्रतिनिधित्व की कमी इसकी वैधता और साख की कमी को भयावह करती है।’’ उन्होंने आशा जताई कि वर्तमान संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष पीटर थामसन के कार्यकाल में सुधार को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया होगी। 
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Tuesday, November 1, 2016

संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में पहली बार मनी दिवाली

संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में पहली बार मनी दिवाली 
संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में पहली बार मनाई गई दिवालीसंयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में पहली बार भारतीय उत्सव, दिवाली मनाई गई और इस अवसर पर दीया जलाया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष पीटर थॉमसन ने संयुक्त राष्ट्र सचिवालय में दिवाली का उत्सव मनाने के लिए एक पारंपरिक दीया जलाया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरद्दीन ने ट्वीट किया, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में पहली बार दीया जलाया गया। बहुसंस्कृतिवाद को खुलकर गले लगाने के लिए आपका धन्यवाद थॉमसन।’’ संयुक्त राष्ट्र में दीवाली उत्सव के समय भारतीय नृत्य और संगीत की प्रस्तुति हुई और संयुक्त राष्ट्र के राजनयिकों और अधिकारियों को पारंपरिक भारतीय पकवान परोसे गये। 
संयुक्त राष्ट्र में भारत के मिशन ने नृत्य प्रस्तुति के एक वीडियो के साथ ट्वीट किया, ‘‘दिवाली के अवसर पर भारतीय कलाकारों की नृत्य प्रस्तुति।’’ संयुक्त राष्ट्र में प्रथम बार मनाई गई दिवाली पर विशेष रूप से मुख्यालय को भव्य रूप से प्रकाशमान किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2014 में एक प्रस्ताव पारित कर ‘‘दिवाली के महत्व’’ को स्वीकार किया था। थॉमसन ने भी दिवाली पर भव्य रूप से सजाये गये संयुक्त राष्ट्र भवन का एक चित्र के साथ ट्वीट किया, ‘‘अंधकार पर प्रकाश, निराशा पर आशा, अज्ञान पर ज्ञान, बुराई पर अच्छाई...हैप्पी दिवाली।'' 
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Wednesday, September 28, 2016

कम्पू जी,

कम्पू जी,
आधुनिक तकनीक से किन्तु भारतीय मिटटी के  बने, विशिष्ट कम्प्यूटर कार्टून है जो सामयिक मुद्दों पर टिप्पणी,  प्रश्न उत्तर के रूप में देते हैं।
प्रश्न: पाकिस्तान भारत के सैनिकों की हत्या करता है, मोदी सोता रहता है ? 
कम्पू जी: 56 वर्ष का सिंधु नदी समझौता, समीक्षा मोदी की पहली चोट, सर्वाधिक अधिमान्य राष्ट्र की समीक्षा मोदी की दूसरी चोट तिलमिलाया पाकिस्तान, मोदी नहीं सोया, ... विरोधी देखें तो सही। 
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Tuesday, September 27, 2016

भारत पाक संबंधों में मोड़

भारत पाक संबंधों में मोड़ 
वरिष्ठ लेखक पत्रकार, तिलक राज रेलन आज़ाद की कलम से 
वर्षों भारत ने प्रयास किया कि पाकिस्तान यदि प्रगति के मार्ग पर बढ़ेगा तो इसका ध्यान नकारात्मकता से हटेगा किन्तु हुआ इसके विपरीत ही। हमने हर समझौता उसके विकास के लिए किया। व्यापार की दृष्टी से उसे सर्वाधिक अधिमान्य राष्ट्र बनाया।किन्तु आर्थिक वृद्धि आतंकवाद के पोषण में वृद्धि बनती गई। अब 1996 के सिंधु नदी जल संधि  पुनर्विचार के बाद अब भारत पाकिस्तान को दिये गये व्यापार की दृष्टी से अधिमान्य राष्ट्र (एमएफएन) के स्तर की समीक्षा करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को यह समीक्षा बैठक बुलाई है। पाकिस्तान के सर्वाधिक अधिमान्य स्तर की समीक्षा करने का निर्णय जम्मू कश्मीर में उरी सैन्य ठिकाने पर हुये आतंकवादी प्रहार के बाद उठाये जा रहे कदमों के संदर्भ में लिया गया है। भारत इस प्रहार का उत्तर देने के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है। 
भारत ने 1996 में अपनी ओर से विश्व व्यापार संगठन के शुल्क एवं व्यापार सामान्य समझौते के अन्तर्गत पाकिस्तान को सर्वा.अधि.रा. का स्तर दे दिया था। भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश हैं। जिसका अर्थ है कि दोनों ही देश एक दूसरे को तथा विव्यासं के अन्य सदस्य देशों के साथ अनुकूल व्यापारिक भागीदार जैसे व्यवहार करेंगे। 
उद्योग मंडल एसोचैम के अनुसार वर्ष 2015-16 में भारत के 641 अरब डालर के कुल वस्तु व्यापार में पाकिस्तान का अंश 2.67 अरब डालर का है। भारत से पाकिस्तान को निर्यात 2.17 अरब डालर का किया जाता है जो कि कुल निर्यात व्यापार का 0.83 % है जबकि पाकिस्तान से होने वाला आयात 50 करोड़ डालर अर्थात कुल आयात का 0.13 % ही होता है। प्रधानमंत्री ने सोमवार को 56 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा की थी। समीक्षा बैठक के मध्य यह निर्णय लिया गया कि संधि के अन्तर्गत भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के अधिकतम जल का उपयोग करेगा। सिंधु जल संधि की समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस. जयशंकर, जल संसाधन सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि सिंधु जल आयोग की बैठक आतंक मुक्त वातावरण में ही हो सकती है। 
मोदी की पहली ही चोट से बौखलाया इस्लामाबाद
पहली ही चोट से बौखलाए इस्लामाबाद से पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक सरताज अजीज ने आज कहा कि यदि भारत 56 वर्ष पुराने सिंधु जल समझौते को निलंबित करता है तो उनका देश संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाएगा। पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार अजीज ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय सभा में कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानून बताते हैं कि भारत एकपक्षीय ढंग से इस समझौते से स्वयं को अलग नहीं कर सकता।’’ पाकिस्तान और इसकी अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी होगी। 
अर्थात जिसके जल से अर्थव्यवस्था खड़ी थी अब जल बिन मछली तड़प उठी। उसे ही पानी पी कर कोसा जा रहा है। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 56 वर्ष पुराने सिंधु जल समझौते की एक समीक्षा बैठक की सोमवार को अध्यक्षता की थी जिसमें यह निर्णय लिया गया कि भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के जल का बंटवारा समझौते के अनुसार  ‘अधिकतम दोहन’ करेगा। उरी हमले में 18 सैनिकों के शहीद होने के बाद पाकिस्तान पर पलटवार करने के भारत के पास विकल्पों की खोज के दृष्टिगत यह बैठक हुई। हमले के बाद यह मांग की जाने लगी कि सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए जल बंटवारा समझौता को रद्द कर दे। 
समझौते के अनुसार व्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चेनाब और झेलम- छह नदियों के पानी का दोनों देशों में बंटवारा होना था। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने सितंबर 1960 में हस्ताक्षर किये थे। पाकिस्तान पर्याप्त जल नहीं मिलने की शिकायत करता रहा है और कुछ मामलों में अंतरराष्ट्रीय पंचाट के पास गया है। अब 56 वर्ष पुराने सिंधु जल समझौते की धारा 12 (4) का स्मरण हो आया। 
संयुक्त राष्ट्र में भारत व पाकिस्तान के प्रतिनिधियों की नोकझोंक। 
उधर संरासं सुषमा स्वराज ने घावों पर नमक छिड़क दिया तो पाकिस्तान तिलमिला उठा। संयुक्त राष्ट्र में भारत व पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने प्रतिक्रिया के अधिकार का उपयोग करते की तीखी नोकझोंक। भारत ने आज पाकिस्तान को एक ऐसा ‘‘असफल राष्ट्र’’ बताया है जो स्वयं तो अपने ही लोगों पर अत्याचार करता है जबकि दूसरों को सहिष्णुता, लोकतंत्र और मानवाधिकार के उपदेश देता है। पाकिस्तान को ‘‘प्रबल और स्पष्ट’’ संदेश मिलना चाहिए कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पाकिस्तान के प्रतिक्रिया के अधिकार के उत्तर में भारत ने कहा है कि पाकिस्तान को इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए कि आतंकवाद की रोकथाम के लिए अरबों डॉलर की सहायता मिलने के बाद भी उसकी धरती पर आतंकी ठिकाने कैसे फल-फूल रहे हैं। 
मलीहा ने कश्मीर को ‘‘विवादास्पद क्षेत्र बता कर कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग कभी भी नहीं था और कभी भी नहीं होगा। जिसकी अंतिम स्थिति संरा सुरक्षा परिषद के विभिन्न प्रस्तावों के अनुसार अभी तक निश्चित नहीं की गई है।’’ लोधी की टिप्पणियों पर भारत के प्रतिक्रिया के अधिकार का उपयोग करते हुए संरा में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव ईनम गंभीर ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि हमारी विदेश मंत्री के आज के संबोधन को पाकिस्तानी राजदूत ने ठीक से और साफ-साफ नहीं सुना है।’’ 
संरा में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव ईनम गंभीर ने स्वराज के संबोधन को उद्धृत किया कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तथा सदा रहेगा और कहा, ‘‘हमें आशा है कि यह संदेश प्रबल और स्पष्ट है।’’ गंभीर ने कहा कि पाकिस्तानी राजदूत ने कश्मीर में स्थिति पर अपने प्रतिक्रिया के अधिकार में ‘‘काल्पनिक और भ्रामक प्रस्तुतिकरण’’ दिया था जो उनके देश द्वारा लगातार किए जा रहे आतंक के निर्यात से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भटकाने का एक और प्रयास है।  
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Thursday, July 14, 2016

संयुक्त राष्ट्र में भारत की गूँज -

संयुक्त राष्ट्र में भारत की गूँज - 

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दिया पाक को करारा जवाबतिलक राज रेलन - 
इस बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को किसी मुद्दे पर भारतीय प्रतिनिधि अकबरूद्दीन ने एक अभूतपूर्व उत्तर दिया है। समझा जाता है कि उसे वैसा उत्तर यदि स्वतन्त्र भारत के 67 वर्ष के आरम्भ से कभी मिला होता, तो संभवत: भारत को इतने वर्ष यह आतंकवाद के संकट तथा उससे संघर्ष में इधर उधर नष्ट नहीं करने पड़ते। स्वतन्त्रता के 67 वर्ष बाद भी भारत लुटा पिटा न होता जैसा कि भ्रष्ट काँग्रेस 2014 में छोड़ कर गई है। अकबरूद्दीन इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं। 
कुछ लोग मानते है कि मोदी के आने से जितना संकट भ्रष्ट सोनिया काँग्रेस के अस्तित्व पर आया है, उससे कहीं अधिक पाक समर्थित आतंकियों के अस्तित्व पर आया है। अब तक संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान जो मुद्दे उठाता था, उसका हल्का फुल्का सांकेतिक उत्तर मात्र खानापूर्ति हेतु दे दिया जाता था। जिससे उसे संकेत मिल जाता तुम कुछ भी करते रहो कोई कड़ा विरोध नहीं होगा। पहले तो तुम्हारी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया जायेगा। फिर यदि तुम भारत में ही आकर भारत का झंडा जलाओगे, यहाँ के लोगों को आतंकित भी करोगे हम चुप रहेंगे। उल्टा जो कश्मीर में भारत का झंडा फहराएगा उसे दण्डित करेंगे। अब तक तो यही सब चला। 
इतना ही नहीं, कभी आतंरिक दबाव में कुछ कार्यवाही करनी भी पड़ी, तो तुम संयुक्त राष्ट्र जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं में जाकर मुद्दा उठाओगे, वहाँ ढंग से तुम्हारा विरोध नहीं करेंगे। ऐसा भी संकेत दिया जाता रहा जो अब तक होता आया है। यही कारण है पाकिस्तान सर ही चढ़ गया। अब पुराने ढर्रे पर चलते सदा की भाँति हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने उठाया। किन्तु किन्तु वह भूल गया कि अब तक वहां का सुखद मौसम बदल चुका था। 
जब हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने उठाया तब उस पर कड़ा पलटवार करते हुए भारत ने इसबार तो कहा है कि पाकिस्तान आतंकियों का ‘गुणगान’ करता है और दूसरों के भूभाग के लालच में आतंकवाद का उपयोग उसकी सरकारी नीति है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरूद्दीन ने पाकिस्तान की दूत मलीहा लोदी की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में मानवाधिकारों पर चर्चा के मध्य कश्मीर और वानी की मौत के बारे में उल्लेख किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। 
मलीहा ने अपने वक्तव्य में कश्मीर का तो मुद्दा उठाया ही था, साथ ही साथ उसे ‘कश्मीरी नेता’ बताया और भारतीय बलों द्वारा वानी की ‘न्यायेत्तर हत्या’ का भी उल्लेख किया। जबकि विश्व में कहीं भी प्राकृतिक आपदा में भारत की सेना ही सहायता करती है। अकबरूद्दीन के वक्तव्य को सूत्रों ने पाकिस्तान को अब तक दिया गया सबसे करारा उत्तर माना है। अकबरूद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान आतंकियों का गुणगान करता है और इसे इसके ‘विगत इतिहास’ के कारण ही अब तक संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन में सदस्यता नहीं मिल सकी है। बहुपक्षीय वैश्विक संस्था में कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए मलीहा पर बरसते हुए अकबरूद्दीन ने कहा कि यह खेदजनक है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का ‘दुरूपयोग’ करने का प्रयास किया। 
अकबरूद्दीन का वक्तव्य 
अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘अफसोस है कि आज हमने संयुक्त राष्ट्र मंच के दुरूपयोग का प्रयास होते देखा। यह प्रयास पाकिस्तान ने किया, एक ऐसा देश जो दूसरों के भूभाग का लालच करता है, एक ऐसा देश जो दिग्भ्रमित लक्ष्य की पूर्ति हेतु आतंकवाद को एक सरकारी नीति के रूप में इस्तेमाल करता है, एक ऐसा देश जो आतंकियों का गुणगान करता है और संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकी घोषित किए गए लोगों को पनाहगाह उपलब्ध करवाता है। यह एक ऐसा देश है जो मानवाधिकारों और स्वाधीनता का स्वांग रचता है।’’ अकबरूद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान का ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझाने में विफल रहा है कि उसे संयुक्त राष्ट्र महासभा के इसी सत्र में मानवाधिकार परिषद की सदस्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से ऐसे मंसूबे, स्वार्थी कोशिशें देखता आया है। ऐसी ही एक कोशिश आज सुबह हुई। इन्हें इस मंच में या संयुक्त राष्ट्र में कहीं और कोई तवज्जो नहीं मिली।’’ 
उन्होंने कहा कि एक ‘‘विविध, बहुलतावादी और सहिष्णु’’ समाज होने के नाते कानून के शासन, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता उसके मूल सिद्धांतों में है। तथा कहा, ‘‘हम वार्ता और सहयोग के जरिए सभी के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए और उसकी सुरक्षा करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।’’ गत सप्ताह हुई वानी की हत्या के बाद से प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़पों में कम से कम 30 लोग मारे गए हैं और 250 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर की तनावपूर्ण स्थिति पर चिंता प्रकट की है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने ‘‘सभी पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने की अपील की है ताकि और अधिक हिंसा से बचा जा सके। उन्होंने आशा जताई कि सभी चिंताओं का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से किया जाएगा।’’ बान के प्रवक्ता ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख कश्मीर की वर्तमान झड़पों को ध्यान से देख रहे हैं और उन्हें दर्जनों लोगों के प्राण गँवाने और बहुत से लोगों के घायल हो जाने का ‘खेद’ है। 
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, 
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक 

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अन्यत्र, हिन्दू समाज व हिदुत्व और भारत, को प्रभावित करने वाली
जानकारी का दर्पण है: विश्वदर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; -तिलक