भारतियों ने विश्व में पहचान बनाई, उनके जीवन का दर्पण--पश्चिमके कदम सदा लूट केलिए उठे,हमारे पग सदा विश्वकल्याण हेतु आगे बड़े.जिस देश में गए,शोषण नहीं किया अर्थ व्यवस्था को उठाया.ऐसे समाज के प्रति मिडिया दुष्प्रचारसे ऑस्ट्रेलिया जैसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति,अन्यत्र हिन्दू समाज व हिदुत्व और भारत को प्रभावित करने वाली जानकारी का दर्पण है विश्वदर्पण. तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 07838468776, 9999777358.
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कम्पू जी, आधुनिक तकनीक से किन्तु भारतीय मिटटी के बने, विशिष्ट कम्प्यूटर कार्टून है जो सामयिक मुद्दों पर टिप्पणी, प्रश्न उत्तर के रूप में देते हैं। प्रश्न: पाकिस्तान भारत के सैनिकों की हत्या करता है, मोदी सोता रहता है ? कम्पू जी: 56 वर्ष का सिंधु नदी समझौता, समीक्षा मोदी की पहली चोट, सर्वाधिक अधिमान्य राष्ट्र की समीक्षा मोदी की दूसरी चोटतिलमिलायापाकिस्तान, मोदी नहीं सोया, ... विरोधी देखें तो सही।
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वर्षों भारत ने प्रयास किया कि पाकिस्तान यदि प्रगति के मार्ग पर बढ़ेगा तो इसका ध्यान नकारात्मकता से हटेगा किन्तु हुआ इसके विपरीत ही। हमने हर समझौता उसके विकास के लिए किया। व्यापार की दृष्टी से उसे सर्वाधिक अधिमान्य राष्ट्र बनाया।किन्तु आर्थिक वृद्धि आतंकवाद के पोषण में वृद्धि बनती गई। अब 1996 के सिंधु नदी जल संधि पुनर्विचार के बाद अब भारत पाकिस्तान को दिये गये व्यापार की दृष्टी से अधिमान्य राष्ट्र (एमएफएन) के स्तर की समीक्षा करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को यह समीक्षा बैठक बुलाई है। पाकिस्तान के सर्वाधिक अधिमान्य स्तर की समीक्षा करने का निर्णय जम्मू कश्मीर में उरी सैन्य ठिकाने पर हुये आतंकवादी प्रहार के बाद उठाये जा रहे कदमों के संदर्भ में लिया गया है। भारत इस प्रहार का उत्तर देने के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है।
भारत ने 1996 में अपनी ओर से विश्व व्यापार संगठन के शुल्क एवं व्यापार सामान्य समझौते के अन्तर्गत पाकिस्तान को सर्वा.अधि.रा. का स्तर दे दिया था। भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश हैं। जिसका अर्थ है कि दोनों ही देश एक दूसरे को तथा विव्यासं के अन्य सदस्य देशों के साथ अनुकूल व्यापारिक भागीदार जैसे व्यवहार करेंगे।
उद्योग मंडल एसोचैम के अनुसार वर्ष 2015-16 में भारत के 641 अरब डालर के कुल वस्तु व्यापार में पाकिस्तान का अंश 2.67 अरब डालर का है। भारत से पाकिस्तान को निर्यात 2.17 अरब डालर का किया जाता है जो कि कुल निर्यात व्यापार का 0.83 % है जबकि पाकिस्तान से होने वाला आयात 50 करोड़ डालर अर्थात कुल आयात का 0.13 % ही होता है। प्रधानमंत्री ने सोमवार को 56 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा की थी। समीक्षा बैठक के मध्य यह निर्णय लिया गया कि संधि के अन्तर्गत भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के अधिकतम जल का उपयोग करेगा। सिंधु जल संधि की समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस. जयशंकर, जल संसाधन सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि सिंधु जल आयोग की बैठक आतंक मुक्त वातावरण में ही हो सकती है।
मोदी की पहली ही चोट से बौखलाया इस्लामाबाद
पहली ही चोट से बौखलाए इस्लामाबाद से पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक सरताज अजीज ने आज कहा कि यदि भारत 56 वर्ष पुराने सिंधु जल समझौते को निलंबित करता है तो उनका देश संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाएगा। पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार अजीज ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय सभा में कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानून बताते हैं कि भारत एकपक्षीय ढंग से इस समझौते से स्वयं को अलग नहीं कर सकता।’’ पाकिस्तान और इसकी अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी होगी।
अर्थात जिसके जल से अर्थव्यवस्था खड़ी थी अब जल बिन मछली तड़प उठी। उसे ही पानी पी कर कोसा जा रहा है। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 56 वर्ष पुराने सिंधु जल समझौते की एक समीक्षा बैठक की सोमवार को अध्यक्षता की थी जिसमें यह निर्णय लिया गया कि भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के जल का बंटवारा समझौते के अनुसार ‘अधिकतम दोहन’ करेगा। उरी हमले में 18 सैनिकों के शहीद होने के बाद पाकिस्तान पर पलटवार करने के भारत के पास विकल्पों की खोज के दृष्टिगत यह बैठक हुई। हमले के बाद यह मांग की जाने लगी कि सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए जल बंटवारा समझौता को रद्द कर दे।
समझौते के अनुसार व्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चेनाब और झेलम- छह नदियों के पानी का दोनों देशों में बंटवारा होना था। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने सितंबर 1960 में हस्ताक्षर किये थे। पाकिस्तान पर्याप्त जल नहीं मिलने की शिकायत करता रहा है और कुछ मामलों में अंतरराष्ट्रीय पंचाट के पास गया है। अब 56 वर्ष पुराने सिंधु जल समझौते की धारा 12 (4) का स्मरण हो आया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत व पाकिस्तान के प्रतिनिधियों की नोकझोंक।
उधर संरासं सुषमा स्वराज ने घावों पर नमक छिड़क दिया तो पाकिस्तान तिलमिला उठा। संयुक्त राष्ट्र में भारत व पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने प्रतिक्रिया के अधिकार का उपयोग करते की तीखी नोकझोंक। भारत ने आज पाकिस्तान को एक ऐसा ‘‘असफल राष्ट्र’’ बताया है जो स्वयं तो अपने ही लोगों पर अत्याचार करता है जबकि दूसरों को सहिष्णुता, लोकतंत्र और मानवाधिकार के उपदेश देता है। पाकिस्तान को ‘‘प्रबल और स्पष्ट’’ संदेश मिलना चाहिए कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पाकिस्तान के प्रतिक्रिया के अधिकार के उत्तर में भारत ने कहा है कि पाकिस्तान को इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए कि आतंकवाद की रोकथाम के लिए अरबों डॉलर की सहायता मिलने के बाद भी उसकी धरती पर आतंकी ठिकाने कैसे फल-फूल रहे हैं।
मलीहा ने कश्मीर को ‘‘विवादास्पद क्षेत्र बता कर कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग कभी भी नहीं था और कभी भी नहीं होगा। जिसकी अंतिम स्थिति संरा सुरक्षा परिषद के विभिन्न प्रस्तावों के अनुसार अभी तक निश्चित नहीं की गई है।’’ लोधी की टिप्पणियों पर भारत के प्रतिक्रिया के अधिकार का उपयोग करते हुए संरा में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव ईनम गंभीर ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि हमारी विदेश मंत्री के आज के संबोधन को पाकिस्तानी राजदूत ने ठीक से और साफ-साफ नहीं सुना है।’’
संरा में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव ईनम गंभीर ने स्वराज के संबोधन को उद्धृत किया कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तथा सदा रहेगा और कहा, ‘‘हमें आशा है कि यह संदेश प्रबल और स्पष्ट है।’’ गंभीर ने कहा कि पाकिस्तानी राजदूत ने कश्मीर में स्थिति पर अपने प्रतिक्रिया के अधिकार में ‘‘काल्पनिक और भ्रामक प्रस्तुतिकरण’’ दिया था जो उनके देश द्वारा लगातार किए जा रहे आतंक के निर्यात से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भटकाने का एक और प्रयास है।
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इस बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को किसी मुद्दे पर भारतीय प्रतिनिधि अकबरूद्दीन ने एक अभूतपूर्व उत्तर दिया है। समझा जाता है कि उसे वैसा उत्तर यदि स्वतन्त्र भारत के 67 वर्ष के आरम्भ से कभी मिला होता, तो संभवत: भारत को इतने वर्ष यह आतंकवाद के संकट तथा उससे संघर्ष में इधर उधर नष्ट नहीं करने पड़ते। स्वतन्त्रता के 67 वर्ष बाद भी भारत लुटा पिटा न होता जैसा कि भ्रष्ट काँग्रेस 2014 में छोड़ कर गई है। अकबरूद्दीन इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं।
कुछ लोग मानते है कि मोदी के आने से जितना संकट भ्रष्ट सोनिया काँग्रेस के अस्तित्व पर आया है, उससे कहीं अधिक पाक समर्थित आतंकियों के अस्तित्व पर आया है। अब तक संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान जो मुद्दे उठाता था, उसका हल्का फुल्का सांकेतिक उत्तर मात्र खानापूर्ति हेतु दे दिया जाता था। जिससे उसे संकेत मिल जाता तुम कुछ भी करते रहो कोई कड़ा विरोध नहीं होगा। पहले तो तुम्हारी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया जायेगा। फिर यदि तुम भारत में ही आकर भारत का झंडा जलाओगे, यहाँ के लोगों को आतंकित भी करोगे हम चुप रहेंगे। उल्टा जो कश्मीर में भारत का झंडा फहराएगा उसे दण्डित करेंगे। अब तक तो यही सब चला।
इतना ही नहीं, कभी आतंरिक दबाव में कुछ कार्यवाही करनी भी पड़ी, तो तुम संयुक्त राष्ट्र जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं में जाकर मुद्दा उठाओगे, वहाँ ढंग से तुम्हारा विरोध नहीं करेंगे। ऐसा भी संकेत दिया जाता रहा जो अब तक होता आया है। यही कारण है पाकिस्तान सर ही चढ़ गया। अब पुराने ढर्रे पर चलते सदा की भाँति हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने उठाया। किन्तु किन्तु वह भूल गया कि अब तक वहां का सुखद मौसम बदल चुका था।
जब हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने उठाया तब उस पर कड़ा पलटवार करते हुए भारत ने इसबार तो कहा है कि पाकिस्तान आतंकियों का ‘गुणगान’ करता है और दूसरों के भूभाग के लालच में आतंकवाद का उपयोग उसकी सरकारी नीति है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरूद्दीन ने पाकिस्तान की दूत मलीहा लोदी की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में मानवाधिकारों पर चर्चा के मध्य कश्मीर और वानी की मौत के बारे में उल्लेख किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
मलीहा ने अपने वक्तव्य में कश्मीर का तो मुद्दा उठाया ही था, साथ ही साथ उसे ‘कश्मीरी नेता’ बताया और भारतीय बलों द्वारा वानी की ‘न्यायेत्तर हत्या’ का भी उल्लेख किया। जबकि विश्व में कहीं भी प्राकृतिक आपदा में भारत की सेना ही सहायता करती है। अकबरूद्दीन के वक्तव्य को सूत्रों ने पाकिस्तान को अब तक दिया गया सबसे करारा उत्तर माना है। अकबरूद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान आतंकियों का गुणगान करता है और इसे इसके ‘विगत इतिहास’ के कारण ही अब तक संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन में सदस्यता नहीं मिल सकी है। बहुपक्षीय वैश्विक संस्था में कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए मलीहा पर बरसते हुए अकबरूद्दीन ने कहा कि यह खेदजनक है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का ‘दुरूपयोग’ करने का प्रयास किया।
अकबरूद्दीन का वक्तव्य
अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘अफसोस है कि आज हमने संयुक्त राष्ट्र मंच के दुरूपयोग का प्रयास होते देखा। यह प्रयास पाकिस्तान ने किया, एक ऐसा देश जो दूसरों के भूभाग का लालच करता है, एक ऐसा देश जो दिग्भ्रमित लक्ष्य की पूर्ति हेतु आतंकवाद को एक सरकारी नीति के रूप में इस्तेमाल करता है, एक ऐसा देश जो आतंकियों का गुणगान करता है और संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकी घोषित किए गए लोगों को पनाहगाह उपलब्ध करवाता है। यह एक ऐसा देश है जो मानवाधिकारों और स्वाधीनता का स्वांग रचता है।’’ अकबरूद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान का ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझाने में विफल रहा है कि उसे संयुक्त राष्ट्र महासभा के इसी सत्र में मानवाधिकार परिषद की सदस्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से ऐसे मंसूबे, स्वार्थी कोशिशें देखता आया है। ऐसी ही एक कोशिश आज सुबह हुई। इन्हें इस मंच में या संयुक्त राष्ट्र में कहीं और कोई तवज्जो नहीं मिली।’’
उन्होंने कहा कि एक ‘‘विविध, बहुलतावादी और सहिष्णु’’ समाज होने के नाते कानून के शासन, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता उसके मूल सिद्धांतों में है। तथा कहा, ‘‘हम वार्ता और सहयोग के जरिए सभी के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए और उसकी सुरक्षा करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।’’ गत सप्ताह हुई वानी की हत्या के बाद से प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़पों में कम से कम 30 लोग मारे गए हैं और 250 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर की तनावपूर्ण स्थिति पर चिंता प्रकट की है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने ‘‘सभी पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने की अपील की है ताकि और अधिक हिंसा से बचा जा सके। उन्होंने आशा जताई कि सभी चिंताओं का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से किया जाएगा।’’ बान के प्रवक्ता ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख कश्मीर की वर्तमान झड़पों को ध्यान से देख रहे हैं और उन्हें दर्जनों लोगों के प्राण गँवाने और बहुत से लोगों के घायल हो जाने का ‘खेद’ है।
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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नदि तिलक। जोहानिसबर्ग से प्राप्त समाचारों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार देर रात वहां कहा कि भारत आगामी वर्षों में 8 % की वृद्धि दर अर्जित करने के लिए काम कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने देश के उत्थान का श्रेय ‘एच-ओ-पी-ई’ अर्थात समरसता (हारमनी), आशावाद (ऑपटिमज्मि), क्षमता (पोटेंशियल) और ऊर्जा (एनर्जी) को दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ‘‘वैश्विक अर्थव्यवस्था के कुछ सर्वाधिक स्वर्णिम बिंदुओं में से एक है’’ और उन लोगों के लिए ‘‘संभावनाओं की धरती’’ है, जो निवेश और व्यवसाय करना चाहते हैं।
मोदी ने कहा कि सरकार वर्ष 2022 तक 50 लाख रोजगार सृजित करने के लिए धुंआंधार ढंग से काम कर रही है। इसके अतिरिक्त वह ढांचागत विकास के द्वारा गांवों और शहरी क्षेत्रों का भी कायाकल्प कर रही है। यहां भारतीय समुदाय के प्राय: 11 हजार लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में जब विश्व में मंदी है..भारत ने इस वर्ष 7.6 % की वृद्धि दर अर्जित की है और हम आने वाले वर्षों में इसे 8 % तक ले जाने के लिए काम कर रहे हैं।’’
रंगभेद विरोधी नेता नेल्सन मंडेला की विशेष पहचान मानी जाने वाली ‘मादिबा शर्ट' पहने मोदी ने कहा कि भारत की गतिशीलता केवल शब्दों में नहीं है बल्कि यह ठोस कार्रवाई से संचालित है। उन्होंने कहा, ‘‘यह (गतिशीलता) भारतीय अर्थव्यवस्था का चेहरा बदलने की हमारी प्रतिबद्धता से परिभाषित होती है। न केवल सतत त्वरित आर्थिक वृद्धि के माध्यम बल्कि बहुपक्षीय कायाकल्प के द्वारा भी जिसका लक्ष्य उत्थान है।’’
अपने 40 मिनट के संबोधन में मोदी ने कहा, ‘‘भारत के उत्थान को एच-ओ-पी-ई अर्थात हारमनी (समरसता), ऑप्टिमिजम (आशावाद), पोटेंशियल (क्षमता) और एनर्जी (ऊर्जा) से परिभाषित किया जा सकता है....भारत का उत्थान अद्भुत लोच, नवीन पुनरोत्थान, अद्भुत गति और भव्य स्तर की कहानी है।’’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि उद्यम फले फूलें, व्यवसाय बढ़े और देश आगे बढ़े। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हम पहले ही एक नीतिगत ढांचे को आकार दे रहे हैं, जो व्यवसाय, विनिर्माण, नवोन्मेष और विश्व के अन्य देशों के साथ निवेश साझेदारी में भारत की क्षमता को सुदृढ़ करता है।’’ मोदी ने कहा कि उनकी चाह यह सुनिश्चित करना है कि भारत के 80 लाख युवाओं के सपने पूरे होने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल अर्थव्यवस्था या समाज नहीं है, जो आगे दौड़ रहा है बल्कि मानसिकता भी बदल रही है।’’ उन्होंने उपस्थित समुदाय को भारत में विकास की कहानी को वर्णित करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि आप लोग स्वयं इसे आकर देखें।
दक्षिण अफ्रीका के साथ एक संबंध स्थापित करने का प्रयास करते हुए मोदी ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका अपनी आर्थिक समृद्धि, सुरक्षा और संरक्षा के लिए काम कर रहा है तो उसे भारत में एक ‘‘विश्वस्त साथी’’ मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका की चुनौतियां समान हैं और भारत इस देश के प्रयासों में उसके साथ शामिल होने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत और दक्षिण अफ्रीका रणनीतिक साझीदार हैं। हमें एक ऐसी साझेदारी स्थापित करनी चाहिए जिसमें संपूर्ण मानव प्रयास शामिल हो।’’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है और एड्स तथा इबोला जैसी व्याधियों के विरुद्ध संघर्ष भी कुछ अन्य प्राथमिकताएं हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि दक्षिण अफ्रीका वह स्थान है जहां महात्मा गांधी ने ‘‘अपनी राजनीतिक अवधारणा बनायी’’ और यह ‘‘सत्याग्रह की जन्मस्थली है।’’ दक्षिण अफ्रीका को महात्मा गांधी की ‘‘कर्मभूमि’’ बताते हुए उन्होने कहा कि इस देश ने ‘‘मोहनदास को महात्मा बना दिया।’’ उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका बहुत प्रिय था क्योंकि उनका मानना था कि इस भूमि पर उनका दूसरा जन्म हुआ है। भारतीय समुदाय के लोगों को ‘‘भारतीय विरासत के गौरवशाली पुत्र और पुत्रियां’’ बताते हुए, उन्होंने कहा कि कई भारतीय मंडेला के साथ जेल गए और रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष में अपने प्राणों का बलिदान दिया।
https://www.youtube.com/watch?v=bmhpWHfGzXU&list=PL92F13DC86EB68717&index=77
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How the Fake Book Torture its Users ( unseen curses)
I wanted to Share my post from Blogspot to Face book, It says verify your Identity as If I am withdrawing a billion Dollar from a bank, in the name of security check. Can See the example.
Please complete a security check
Select one option
Please choose one of the following methods to confirm your identity:
It suggests Select one Option further Adds, Please choose one of the following methods to confirm your identity:
but Can anybody on the Planet earth see any Option ?
Now comes Its verification Process, Identify Photos of friends, Is it showing the Photos of friends ?
No, It will show Photos Posted by some friend out of Hundred Posts, many are Shared and Tagged thus repeated several Times, Only computer can tell Photo originally Posted by A B C or X Y Z.
I Challenge, Let us Ask Mr Mark Zuckerberg to Identify any photo Published in his Face book, If he fails Face book be a Fake book, and given a second Chance and failing this Time He will not be able to Identify the photo, As he Blocks the User from his FB Account where one earned the Faith of some friends, Mark must loose all Rights including ownership of FB.
Whenever I post one or Two Posts and try to tag my friends, asked to verify photos, So annoying, to create an hurdle in path of smooth use by a user account. If you don't want users to work on Fake book then Wind it up, Why such a show off ?
On this point Orkut was far better, about hurdle-free smooth working.
FB Friendship earned by reputation, is to be preserved, It is your moral duty. By blocking You deprived me of my contacts. Don't you think it as an Harassment and You have no Right of Bullying a user of FB.
In a similar attempt an account Tilak Raj Relan from New Delhi, which earned a friendship of 1200 was eaten away by you about 4- 5 years ago. Then I had to open a new account, which means a new Start up. I post 100 times to get a hundred friends, (Fans) Hard earned, Can You money maker ever understand the value of friendship.
Level of my reputation may differ from your reputation, but I Too have some, and You have no Right to shake mine. Mind it MZ. You are Younger than my son, so I advise you not to Play this game.
Now if you can Reactivate Tilak Raj Relan from New Delhi, 2010 account with 1200 friend list.
In the meantime Mobile no recorded there 9911111611 is also lost. new no is 7838468776. pl.
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न दि, 28 मई (तिलक)।वाशिंगटन में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (प.आ.स./एनएसजी) का सदस्य बनने के भारत के प्रयास का विरोध कर रहे पाकिस्तान को अमेरिका ने झिड़कते हुए कहा है कि यह हथियारों की दौड़ के बारे में नहीं, बल्कि परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के बारे में है। अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह हथियारों की दौड़ के बारे में नहीं है और यह परमाणु हथियारों के बारे में भी नहीं है। यह परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण असैन्य उपयोग के बारे में है, और इसलिए हम निश्चित रूप से आशा करेंगे कि पाकिस्तान इसे समझेगा।’’
वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (प.आ.स.) की सदस्यता के लिए भारत के आवेदन और पाकिस्तान द्वारा इसका विरोध किए जाने के बारे में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। पाकिस्तान का कहना है कि प.आ.स. में भारत की सदस्यता से क्षेत्र में परमाणु हथियारों की दौड़ बढ़ेगी। जबकि, अमेरिका ने 48 सदस्यीय प.आ.स. की महत्वपूर्ण बैठक से पूर्व कहा है कि वह चाहता है कि भारत के प्रयास में कोई बाधा न आए।
जबकि अमेरिका 48 देशों वाले प.आ.स. की महत्ती बैठक से पूर्व सब कुछ अच्छा होने की कामना कर रहा है। टोनर ने कहा, ‘‘देखिए, मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की वर्ष 2015 में हुई भारत यात्रा के मध्य उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी कि अमेरिका मानता है कि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था की अनिवार्यताओं को पूरा करता है और सदस्यता के लिए तैयार है। किन्तु यह एक सर्वसम्मति वाली संस्था है इसलिए हम प्रतीक्षा करेंगे और देखेंगे कि मत किस ओर जाते हैं।’'
उन्होंने कहा, ‘‘एनएसजी में नए सदस्यों के शामिल होने की संभावनाओं पर चर्चा वर्तमान सदस्यों का आंतरिक मामला है। मुझे लगता है कि वे नियमित रूप से बैठकें करते हैं और इससे आगे मुझे कुछ नहीं कहना है।’’ प.आ.स. की आगामी बैठक इस उद्देश्य के लिए नहीं रखी गई है। टोनर ने कहा, ‘‘यह कोई विशेष बैठक नहीं है। मेरा मानना है कि इसे प्रमुख रूप से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नहीं बुलाया गया है।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने अपनी रूचि को सार्वजनिक कर दिया है और निश्चित रूप से कोई भी देश सदस्यता के लिए आवेदन कर सकता है। हम सर्वसम्मति से लिए निर्णय के आधार पर ध्यान करेंगे।’'
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भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय वार्ता नई दिल्ली:भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिव के बीच आज मंगलवार को द्विपक्षीय वार्ता, जिसमें पठानकोट आक्रमण की जांच और इस मामले में राजनीतिज्ञों के बीच प्रथम वार्ता में विलम्ब पर बातचीत हुई। पाकिस्तान ने कहा है कि कश्मीर मुद्दे पर यूएनएससी के अनुसार समाधान की आवश्यकता है। विदेश सचिवएस. जयशंकरऔर उनके पाकिस्तानी समकक्षअजीज अहमद चौधरीने इस मामले में बातचीत को लेकर विलम्ब को माना है। सूत्रों के अनुसार, बातचीत में मुख्य ध्यान पठानकोट आतंकी आक्रमण की जांच और इस संबंध में एनआईए की टीम के संभावित पाकिस्तान यात्रा पर दिया जाएगा। गत वर्ष दिसंबर में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के इस्लामाबाद में सीबीडी की घोषणा करने के बाद से जयशंकर और चौधरी के बीच यह पहली औपचारिक बैठक है। दोनों सचिवों ने इस वर्ष मार्च में नेपाल में दक्षेस की एक बैठक के मध्य कुछ देर के लिए अनौपचारिक रूप से बातचीत की थी।
जनवरी माह में पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर आतंकी आक्रमण के बाद विदेश सचिव स्तर पर सीबीडी बहाल करने के प्रयासों में गतिरोध आ गया था। भारत का कहना है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने आक्रमण को कार्यरूप दिया। ध्यान रहे कि पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी मुख्य रूप से ‘हार्ट ऑफ एशिया के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक’ में भाग लेने के लिए एक दिन के प्रवास पर यहां पहुंचे।
आतंकवाद पर चर्चा में कश्मीर की शर्त रखना ही स्वीकृति है कि कश्मीर की मांग मनवाने के लिए आतंकवाद से धमकाया जा रहा है। अर्थात जब कश्मीर दोगे, तब हम शांत होंगे। यदि चर्चा करनी है तो पाक की नापाक जेलों में अवैध रोके भारतीय युवाओं पर करें -तिलक
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